काश! वो खत पढ़ लिया होता मैंने लिख दिया होता तुम्हें जवाब, अब तो बहुत देर हो चुकी है काश! वो खत पढ़ लिया होता मैंने लिख दिया होता तुम्हें जवाब, अब तो बहुत देर...
तिनका-तिनका चुन, मन की तरंगों को क्रियात्मक रूप देना पड़ता है, दृढ़ निश्चय और उद्यम की लौ को हृदय में... तिनका-तिनका चुन, मन की तरंगों को क्रियात्मक रूप देना पड़ता है, दृढ़ निश्चय और उद्...
जो आंखें कह नही सकतीं वही मै बात लिखता हूँ। जो आंखें कह नही सकतीं वही मै बात लिखता हूँ।
एक शिद्दत से, एक लम्बे इंतज़ार के बाद बिल्कुल मेरी तरह एक शिद्दत से, एक लम्बे इंतज़ार के बाद बिल्कुल मेरी तरह
फिर भी माँ, तुम सा मैं, आँचल ना पाऊँ....। फिर भी माँ, तुम सा मैं, आँचल ना पाऊँ....।
अमरत्व की चाहत। अमरत्व की चाहत।